काँवड़ चढ़ाने का कारण? .
काँवड चढ़ाने के विषय पर पौराणिक कथा इस प्रकार हैजब समुद्र द्र मंथन हो रहा था उस समय सबसे पहले समुद्र से विष उत्पन्न हुआ और उस विष की भयंकर गर्मी से देवतागण, दैत्य और सार संसार व्याकुल हो गया, तब विष्णु भगवान की प्रेरणा से शिव ने आगे आकर सभी के कल्याण हेतु विष का पान कर लिया। लेकिन उन्होंने उस विष को कण्ठ तक ही सीमित रखा, जिससे उनका कण्ठ नीला हो गया ओर वे नीलकण्ठ कहलाये। ह भगवान शिव पर विष की गर्मी का इतना ज्यादा असर होने लगा कि वे तीनों लोकों में घूमने लगे और राम नाम के स्थान पर उनके मुख से बम
बम निकलने लगा तब देवताओं ने विष की गर्मी को शान्त करने के लिये शिवजी के मस्तक पर बहुत सा जल चढ़ाया और कालान्तर में गंगा जी की स्थापना भगवान शिव के मस्तक पर की गई। उसी समय से शिव जी पर जल चढ़ाने की परम्परा चली आ रही है। जो आज तक मान्य है। पुराणों में यह वर्णन किया गया है कि रावण ने भी हरिद्वार से गंगाजल लाकर क्षवान शिव का अभिषेक किया था।