राज कपूर, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अद्वितीय नाम हैं। उनका जन्म 14 दिसंबर 1924 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता, प्रिथवीराज कपूर, भी फिल्म उद्योग में काम करते थे, जिससे राज कपूर ने सिनेमा की दुनिया में पहला कदम रखा। उनका बचपन से ही सिनेमा में रुचि थी, और वह 10 वर्षीय उम्र में पहली बार फिल्म “इन्कलाब” (1935) में अभिनय कर चुके थे।
राज कपूर का सिनेमा में करियर शुरू हो गया लेकिन वे अपने पिता के प्रतियोगी की भूमिका में ही अधिक पहचान प्राप्त करने के लिए बेताब थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा और उत्साह के साथ काम किया और अपने अद्वितीय अंदाज के लिए जाने जाते हैं।
राज कपूर की फिल्म “आवारा” (1951) ने उन्हें नायक के रूप में भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर बना दिया। उनकी निखरी अदाओं, आलस्य भरे भावनात्मक अभिव्यक्ति, और उनके शानदार अभिनय ने दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। उन्होंने कई उत्कृष्ट फिल्मों में काम किया, जैसे “श्री 420” (1955), “मेरा नाम जोकर” (1970) और “बॉबी” (1973)।
राज कपूर को ‘फिल्मी चरित्रों के भगवान’ कहा जाता है। उन्होंने न केवल अपने अद्वितीय अभिनय से लोगों को मोहित किया, बल्कि उनके द्वारा निर्मित फिल्मों के माध्यम से भारतीय समाज के विभिन्न मुद्दों पर भी चिंतन किया।
राज कपूर ने सिनेमा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, लेकिन उनका प्रेरणास्त्रोत भी अनूठा है। वे फिल्म निर्माण, निर्देशन, और अभिनय के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी निरंतर योगदान दिया।
राज कपूर की मृत्यु 2 जून 1988 को हो गई, लेकिन उनकी यादें, उनका काम, और उनकी फिल्में हमेशा उनके समर्पित प्रशंसकों के दिलों में जीवित रहेंगी। उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नई ऊँचाई दी और नायक के रूप में अमर बने।
राज कपूर को भारतीय सिनेमा के ‘ग्रेट डायरेक्टर’ के रूप
में सम्मानित किया गया है। उनका योगदान सिनेमा के इतिहास में अविस्मरणीय है और उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
राज कपूर की जीवनी न केवल उनके शौर्य और साहस का परिचय देती है, बल्कि उससे हमें एक ऐसे कलाकार की उपलब्धियों का भी अनुभव होता है जो सिनेमा के माध्यम से समाज को सोचने और परिवर्तन की दिशा में प्रेरित करता है। राज कपूर की जीवनी एक प्रेरणास्त्रोत है, जो हर कलाकार को उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।