सर्वोत्तम धन
महर्षि याज्ञवल्कय की दो स्त्रियाँ थीं। एक का नाम था मैत्रेयी और दूसरी का कात्यायनी। जब महर्षि संन्यास ग्रहण करने लगे, तब दोनों स्त्रियों को बुलाकर उन्होंने कहा – मेरे पीछे तुम लोगों में झगड़ा न हो, इसलिये मैं सम्पत्ति का बँटवारा कर देना चाहता हूँ। मैत्रेयी ने कहा – स्वामिन्! जिस धन को लेकर मैं अमर नहीं हो सकती, उसे लेकर क्या करूँगी? मुझे तो आप अमरत्व का साधन बतलाने की दया करें।