गाज का व्रत
इस व्रत को भाद्रपद में किया जाता है। यदि किसी के यहां पुत्र का जन्म हुआ हो या पुत्र का विवाह हुआ हो तो उसी वर्ष भाद्रपद माह में किसी भी शुभ दिवस को देखकर गाज॑ का ब्रत करके उद्यापन किया जाता है।सात जगह चार-चार पूडी और हलवा रखकर उस पर कपड़ा व रुपये रख दे।
एक लोटे में जल भरकर उस पर सतिया बनाकर सात दाने गेहूँ के हाथ में लेकर गाज की कहानी सुनें। इसके बाद सारी पूरी ओढ़नी पर रखकर सास के पैर छूकर दे दें। बाद में लोटे के जल से सूर्य भगवान को जल चढायें। इसके पश्चात् सात ब्राह्मणियों कों भोजन कराकर दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करना चाहिए।