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दशहरे का पूजन – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

दशहरे का पूजन 

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चिंतामणि ग्रंथ में कहा गया है कि आश्विन शुक्ल दशमी के दिन तारों के उदय होने का जो समय है, उसका विजय से संबंध है। जो सारे काम और अर्थों को पूरा करने वाला है। जो आदर के साथ दशमी का ब्रत करता है वह सफलता पाता है। दशहरे के ऊपर जल, रोली, चावल, मौली, गुड़, दक्षिणा, फूल और जौ के झँवारे चढ़ाओ। एक हाडी में तो एक नगद रुपया व झँवारे रखें, दूसरे में फल, रीली, चावल से पूजा करें। थोड़ी देर बाद जिस हांडी में रुपया रखा हो उस रुपये को निकालकर अलमारी में रख दें। बही में सतिया लगाकर उस पर जल, फूल, रोली, चावल चढायें। थोडे से झँवारे रखकर दशहरे की पूजाप करें। बही पूजकर दवात-कलम का पूजन करें। 
नीलकंठ का दर्शन करें। भोजन में हलवा, पूरी बनायें। और ब्राह्मण जिमाएँ और दशहरे के दिन श्रीरामचन्द्र जी की व रामायण की पूजा करें, भोग लगायें। 
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