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दातुन – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

दातुन 

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हे हर जी माँग रही वर चार रुकमण हठीली दातुन ना दयी
हे माँ मेरी हम लावे गंगा जल नीर, दातुन लावे हरिहर झाल की
हे बेटा ये दातुन रुकमण को दो म्हारी तो दातुन हर के संग गई 
हे माँ मेरी कहो तो देंगे बिडार कहो तो भेज धन के बाप के हे बेटा काहे को दोगे बिडार काहे को भेजो धन के बाप के
हे माँ मेरी दुःख में तो दंगे बिडार सुख में ठो भेजे धन के बाप के 
हे रुकमण उठो ना करो ना श्रंगार बिरद उठाई थारे बाप के हे हर जी झूठ से झूठ ना बोलो सावन भादों कैसे बिरद नी
हे रुकमण उठो ना करो ना श्रंगार बेटा तो जाया थारी भावजी
हे हर जी अब के तो साँचे हे बोल आशा तो, कहिये बड़ी भावजी 
हे माँ मेरी लाओ ना तीनों हथियार पाँचों तो लाओ म्हारे कपडे 
हे बेटा क्‍या रे करोगे हथियार क्‍या रे करोगे पाँचों कपड़े 
हे माँ मेरी साथ चलेंगे हथियार पहन चलेंगे पाँचों कपड़े 
हे हर जी आप घोड़े असवार रुकमण का डोला हर ने संग लिया
हे हर जी चाले है आधी सी रात दिन निकाल ठंडे बड़ तले
हे रुकमण सो गई चूंदड़ तान हर जी ने घोड़ा अपना मोड लिया 
हे हर जी कोन म्हारे माईल बाप कौन भरोसे छोडी बड़ तले हे हर जी कर जाओ कंवल करार फिर कब आओ म्हारे पावने
हे रुकमण चैत में चिंता का बास, बैसाख में टेसू फूल रहे
हे रुकमण जेठ में जेठूडा भराव आषाढ़ में चोमासा बैरी लग रहा 
हे रुकमण सावन में बरसेंगे मेह, भादों में बादल बिजली कड़क रहे
हे रुकमण असोज में पितर संजोये, कार्तिक में गंगा जी का नहान है 
हे रुकमण मँगसिर में माँग भरावे पौ में जाड़ा बेरी पड़ रहा
हे रुकमण माह में धरती पे सोवना, फाल्गुन में सखियाँ होली खेलती 
हे हर जी हो गये बारह मास फिर कब आओ म्हारे पावने
हे हर जी आए, हैं महला के बीच मात यशोदा बैठी आमन धूमनी
हे, माँ मेरी काहे बिन घोर अँधेरे काहे बिन आँगन लागे भिन-भिना
हे बेटा बहू बिन घोर अँधेर बालक बिना आँगन लागे भिन-भिना
हे हर जी चाले हैं आधी सी रात दिन उपाया धन के बाप के हे हर जी कातू थी लंबे-लंबे तार हर जी तो आए म्हारे पावने हे माँ मेरी ऊपर से नीचे उतर आओ रतन जमाई आए तेरे पावने 
हे बेटी रि से झूठ नो बोल वे परदेसी किसके पावने
हे बेटी साँचे तो बोले है बोल काले तो पीले तम्बू तन रहे
हे बेटी राधो ना हरड़ की दाल चने के तो पो दो हर ने टिकडे हे माँ मेरी हरड़ तो खावे गंवार चने तो खाबे हर के घडले
हे माँ मेरी राधूँंगी मूंगा धोई दाल चावल राँधू हर ने उजले
हे माँ मेरी तीवन तीस बत्तीस माँडे तो पोऊँ हर ने रिमझिमे हे माँ मेरी बूर की रेल में पेल थी बरताऊँ हर न टोकनी 
हे माँ मेरी शेख पूरे का है थाल बोजा तो पूर का हर ने बीजना
हे माँ मेरी जीयेंगे कंध जीमावे नार हँस हँस दूँगी हर ने उलहना
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हे हर जी वे दिन कर लो ना याद सूती तो छोडी ठंडे बड़ तले हे रुकमण वे दिन पाछे ने डाल मान तो राखा बूढिया माय का 
हे हर जी चाले है आधी सी रात दिन उपाया अपने देश में 
हे माँ मेरी खोलो ना चंदन किवाड़ सॉकल तो खोलो लोहे सान की 
हे बेटा खुल गए चंदन किवाड़ साॉँकल खुल गई लोहे सान की
हे माँ मेरी ऊपर से नीचे उतर आओ पाय पडेगी थारी कुल बहू 
हे बेटा तुम जीयो लाख करोड़ पैरा पड़ेगी सासू ननद के
हे माँ मेरी ये धन जनमेगी घी लाड जमाई आवे पावने 
हे माँ मेरी ये धन जनमेगी पू बेल पड़ेगी म्हारे बाप की 
हे बहना ऊपर से नीचे उत्तर आओ पैरा पडेगी थारी भावजी हे वीरा तुम जीओ लाख करोड़ सर्व सुहागन म्हारी भावजी
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