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भागवत
गीता । 
ज्ञान देव की
धन यौवन तेरा
सुनतः सुनत दिन बीता।
पूजा कीता,
हरि सो न रहा प्रीना।
यों खो जाएगा,
सब बीता।
जग कीता।
चीता।
अन्त समय
बावरिया ने बावरि लूटि,
फन्दा जाल
कहै कबीर काल यों मारे,
मृगना को
कबीर भजन राग बिलावल ११६
राम भजा सोई जग में जीता। टेक
हाथ सुमिरनी बगल कतरनी,
पढ़े
हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं भवहूं,

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