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हाथी कहां से लाए”!

“हाथी कहां से लाए”! 

एक दिन की बात है कि दिन के ठीक बारह बजे दोपहर में कवि कालिदास जंगल में गये। धूप तेज थी। वापसी में रास्ते में उन्हें एक गरीब, बीमार और दु:खी मनुष्य मिला । वह गर्मी से दुःखी हो रहा था। गर्म रेत में पाँव पड़ने से वह उछलता हुआ चलता और चिल्ला रहा था। 
कालीदास उससे जाकर पूछने लगे और उसे अपना जूता व कपड़े उतार कर दे दिये और उसे छाया में ले जाकर बैठाया। कालीदास उससे बोले–मैं अभी शहर से तुम्हारे लिए खाने पीने की सामग्री भेजता हूँ। इतना कहकर भरी दोपहरी में वे नंगे पॉव शहर की ओर चल पड़े। कालीदास ; अपने कोमल शरीर से बहुत कष्ट सह रहे थे। यह सोचकर ‘ ईश्वर ने उनके लिए एक हाथी भेज दिया। अब कालीदास | हाथी पर बैठकर शहर को चल दिये। ‘ 
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