Search

संगत का प्रभाव

संगत का प्रभाव 

एक बार की बात है कि जंगल के राजा शेर ने परामर्श हेतु एक तोता और एक हंस को मंत्री नियुक्त किया।
एक दिन जंगल में एक ब्राह्मण जा रहा था। वह नीति शास्त्र और वेदान्त का विद्वान था। तोते और हंस ने सिंह कहा–इस विद्वान से आप कुछ नीति और वेदान्त पह लीजिए।
सिंह ने उस विद्वान को बुलाया परन्तु सिंह को हिंसक जानवर समझकर विद्वान आने से डरने लगा। हंस और तोते के आश्वासन देने पर विद्वान को विश्वास हो गया।
तब ब्राह्मण विद्वान सिंह के पास चला गया। मंत्रियों ने कहा–राजा साहब आपसे ज्ञान ग्रहण करना चाहते हैं। इस पर वह सिंह को ज्ञान देने लगा।

एक बार ब्राह्मण को रुपयों की आवश्यकता पड़ने पर वह सिंह के पास आया। परन्तु सिंह के दोनों मंत्री तोता और हंस की मृत्यु हो चुकी थी। रीछ आदि हिंसक जानवर उसके मंत्री बन चुके थे। वे उस ब्राह्मण को देखकर प्रतिदिन राजा से कहा करते थे कि इसका माँस बड़ा स्वादिष्ट और मीठा है। यह ब्राह्मण होने के कारण प्रतिदिन मिठाई का सेवन करता होगा।

उन मंत्रियों की बात सुनकर एक दिन शेर ने ब्राह्मण से कहा-भाई ! मेरे पास अब वह योग्य मंत्री नहीं रहे जो मुझे बेदान्त पढ़ने की सलाह देते थे। मेरे पास तो अब ये हिंसक जन्तु रह गये हैं जो मुझे तुम्हें खाने का परामर्श देते रहते हैं। अतः आप यहाँ से अपने घर चले जायें तो अच्छा रहेगा।

Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply