-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
जन्माष्टमी भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के बारह बजे मथुरा के राजा कंस की जेल में वासुदेव जी की पत्नी देवी देवकी के गर्भ से सोलह कलाओं से निपुण भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का विशेष माहात्म्य है। इस दिन देश के समस्त मन्दिगें का श्रृंगार किया जाता है। कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झांकियां सजायी जाती हैं। भगवान श्री कृष्ण का साज-श्रृंगार करके झूला सजाया जाता है। सभी स्त्री-पुरुष इस व्रत को करते हैं ओर रात के बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गंजती है। भगवान कृष्ण की आरती उतारी जाती हे। और इसके बाद प्रमाद बांटा जाता है। ओर इसी प्रसाद को खाकर लोग ब्रत को खोलते हैं।