Search

“यह सब तेरा ही है”

“यह सब तेरा ही है”

पंजाब में सिखों के गुरु नानक देव थे। वे बचपन से ही ईश्वरमय हो गये थे। वे जब छोटे थे, तब उनके माता-पिता ने उन्हें खेत देखने भेजा। वे वहाँ जाकर ईश्वर का नाम स्मरण करने लगते थे। एक बार वे जब खेत के चारों ओर घूम रहे थे तो उन्हें देखकर पक्षी उड़ गये। | पक्षियों को उड़ते देखकर उन्हें बहुत दुःख हुआ। वे अपने हृदय में सोचने लगे कि ये पक्षी भी तो परमात्मा ने ही बनाये हैं। उनके मुख से निम्नलिखित कविता निकल पड़ी -यम की चिड़िया यम का खेत। खाय ले चिड़िया भर भर पेट॥ अर्थात्‌ हे पक्षियों! मुझसे डरो मत। तुम भरपेट खूब खा नो। गुरु नानक जब बड़े हो गये तो पिता ने उन्हें अनाज की दुकान पर बैठा दिया। उसी समय कुछ साधू सामान लेने को दुकान पर आये। | नानकदेवजी उन्हें सामान देने लगे। एक दो तीन इस 7२ क्रमश: वे तेरह तक पहँचे और फिर “तेरा तेरा कहते _धबुध खो बैठे। ” तेरह कहते ही उनके हृदय में विचार कि हे ईश्वर! यह सब तेरा ही है। 
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply