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मौत पर वश नहीं – No control over death gautam budh story in hindi

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मौत पर वश नहीं – No control over death gautam budh story in hindi

भगवान बुद्ध ने कई ऐसी बातें कही हैं, कई ऐसे प्रसङ्ग कहे हैं। जिन्हें सुनकर आपका जीवन पूरी तरह से बदल सकता है। आपकी सोच चाहे जो भी हो, आपके जीवन में चाहे कितनी भी परेशानियाँ क्यों न हों। भगवान बुद्ध की बातें आपका जीवन बदल सकती हैं। आज हम भगवान बुद्ध का एक ऐसा ही प्रसङ्ग लेकर आए हैं।

एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठ कर धर्म की बातें कर रहे थे। तभी किशा गौतमी नामक स्त्री अपने बालक का शव अपने हाथों में लेकर रोती हुई, बिलखती हुई उन के पास आई। और शव को बुद्ध के चरणों में रखकर बोली कि पृभु मैंने आपकी बहुत प्रसिद्धि सुनी है। चारों ओर आप की महिमा का गुणगान है। मेरा यह पुत्र मेरे भविष्य का सहारा है। आप कृपया इसे पुनर्जीवित कर दें। मैं बहुत ही आशा लेकर आपके चरणों में आई हूं
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ऐसी बातें कहकर वह महिला फूट फूट कर रोने लगी। औऱ अपने आँसुओं से गौतम बुद्ध के चरणों को धोने लगी।
गौतम बुद्ध चमत्कारों पर विश्वास नहीं करते थे। उनका विश्वास था कि चमत्कारों से भर्म ओर पाखंड को बल मिलता है। वे सोचने लगे यह बात इस महिला को किस तरह समझाई जाए कि मृत व्यक्ति को जीवित करना असंभव है। नेत्र मूंदकर वे कुछ क्षणों तक सोचने लगे। फिर नेत्र खोले और किशा गोतमी से बोले, कि बहन तुम्हारा पुत्र जीवित हो सकता है। गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर गोतमी बहुत प्रसन्न हुई। वह सोचने लगी कि बुद्ध जी अभी कोई चमत्कारी मंत्र पढेंगे और उसका पुत्र जीवित हो जाएगा।
बुद्ध जी उसे कहते हैं कि पुत्र जीवित तो हो जाएगा
लेकिन उसके लिए तुम्हें थोड़ा कष्ट उठाना पड़ेगा। तब महिला बोली–मैं कुछ भी करने को तैयार हूं। बस मेरा पुत्र जीवित हो जाए। आप मुझे आज्ञा दें कि मुझे क्या करना होगा। तो बुद्ध उस महिला से कहते हैं कि तुम उस घर से एक मुट्ठी चावल लेकर आओ। जिस घर में किसी की मृत्यु न हुई हो। ऐसा करते ही तुम्हारा बालक जीवित हो जाएगा।
गोतमी ने सोचा कि यह तो बड़ा ही आसान काम है। इसमें क्या बड़ी बात है? ऐसा सोचकर वह तुरंत ही नगर की ओर चल पड़ी। परन्तु जब वह नगर में गई तो उसे पता चला कि घर से किसी न किसी की मृत्यु तो हुई ही है। किसी घर में कोई अभी मरा है तो कोई कुछ समय पहले मृत् हो चुका है। उसे पूरे नगर में एक भी घर ऐसा न मिला जहां पर मृत्यु ने अपना डेरा न डाला हो।
घूमते घूमते गोतमी तक गई और सोचने लगी कि संसार में कोई ऐसा घर है ही नहीं। जहां मृत्यु के कदम न पड़े हों।
मेरा भटकना पूरी तरह व्यर्थ है। वह उदास हो गई ओर गोतम बुद्ध के पास लौट आई। वह रोते हुए बुद्ध जी से बोली कि ऐसा कोई घर मुझे नहीं मिला जहां किसी की मृत्यु न हुई हो। प्रत्येक घर में मृत्यु ने अपना आवास जरूर बनाया है। महिला की बात सुनते ही बुद्ध जी कहते हैं यही तो मैं तुझे समझाना चाहता था। कि मृत्यु किसी के वश में नहीं। कोई भी तुम्हारे पुत्र को जीवित नहीं कर सकता। यह ईश्वर का कार्य है और इसमें बाधा डालना मेरे लिए भी सम्भव नहीं। इतनी सहजता से गौतम बुद्ध ने उस महिला को जीवन का सार समझा दिया। हम भी कई बार नश्वर चीजों के साथ अपना मोह जोड़ लेते हैं। इस कदर जोड़ लेते हैं कि उसके बिना हमारे लिए जीवित रहना मुश्किल हो जाता है। हम दिन रात भगवान की पूजा अर्चना करने लगते हैं। उनसे प्रार्थना करने लगते हैं कि मेरी यह वस्तु या मेरी यह इच्छा पूरी कर दें। और जब ऐसा नहीं होता तो भगवान पर से विश्वास उठा लेते हैं।
ऐसे में हमें यह समझना चाहिए कि वस्तुएँ और कुछ बातें नश्वर हैं और उनसे इतना मोह जोड़ना अच्छी बात नहीं।
तो दोस्तों ये थी भगवान बुद्ध से जुड़ी एक ऐसी रोचक कहानी। जिसे अगर आप समझ लें। जिसका सार अगर आप अपने जीवन में अपना लें तो आपके जीवन की कई परेशानियां भी अपने आप हल हो जाएंगी।
धन्यवाद
संग्रहकर्त्ता उमेद सिंह सिंघल।
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