Search

मेरे समान पापों का घर कौन ? तुम्हारा नाम याद करते ही पाप नष्ट हो जायँगे

मेरे समान पापों का घर कौन ?

तुम्हारा नाम याद करते ही पाप नष्ट हो जायँगे 

श्रीराम-सीता-लक्ष्मण वन पधार गये। श्रीदशरथ जी की मृत्यु हो गयी। भरत जी ननिहाल से अयोध्या आये। सब समाचार सुनकर अत्यन्त मर्माहत हो गये। महामुनि वसिष्ठ जी, माता कौसल्या, पुरवजन, प्रजाजन – सभी ने जब भरत को राजगद्दी स्वीकार करने के लिये कहा, तब भरत जी दुखी होकर बोले-
मुझे राजा बनाकर आप अपना भला चाहते हैं? यह बस, स्नेह के मोह से कह रहे हैं। कैकेयी के पुत्र, कुटिल बुद्धि, राम से विमुख और निर्लज्ज मुझ अधम के राज्य से आप मोहवश होकर ही सुख चाहते हैं। मैं सत्य कहता हूँ, आप सुनकर विश्वास करें। राजा वही होना चाहिये, जो धर्मशील हो। आप मुझे हठ करके ज्यों ही राज्य देंगे, त्यों ही यह पृथ्वी पाताल में धँस जायगी 
रसा रसातल जाइ़हि तबहीं ।
मोहि समान को पाप निवास।।

ram%20&%20bharat
मेरे समान पापों का घर कौन होगा  जिसके कारण श्रीसीता जी तथा श्रीराम जी का वनवास हुआ! महाराजा तो राम के बिछुड़ते ही स्वयं स्वर्ग को चले गये। मैं दुष्ट सारे अनर्थो का कारण होते हुए भी होश-हवास में ये सारी बातें सुन रहा हूँ। 
भरतजी ने अपनी असमर्थता प्रकट की। वे श्रीराम चरण दर्शन के लिये सबको साथ लेकर वन में पहुँचे। वहाँ बहुत बातें हुईैं। भरतजी के रोम-रोम से आत्म ग्लानि प्रकट हो रही थी। श्रीरामजी ने उनसे कहा-
भेया भरत! तुम व्यर्थ ही अपने हृदय में ग्लानि करते हो। मैं तो यह मानता हूँ कि भूत, भविष्य, वर्तमान-तीनों कालों में और स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल – तीनों लोको में जितने पुण्यात्मा हैं, वे सब तुम से नीचे हैं। जो मन से भी तुम पर कुटिलता का आरोप करता है,
उसका यह लोक और परलोक – दोनों बिगड़ जाते हैं। भाई ! तुम्हारे में पाप की तो कल्पना करना ही पाप है। तुम इतने पुण्य जीवन हो कि तुम्हारा नाम-स्मरण करते ही सब पाप, प्रपञ्ल और सारे अमंगलो के समूह नष्ट हो जायेंगे तथा इस लोक में सुन्दर यश और परलोक में सुख प्राप्त होगा-
मिटिहहिं पाप प्रपंच सब अरि्बिल अमंगल भार।
 लोक सुजस परलोक सुर्रु सुमिरत नाम तुम्हार॥ 
भरत! मैं स्वभाव से ही सत्य कहता हँ – शिवजी साक्षी हैं, यह पृथ्वी तुम्हारी ही रखी रह रही है।
“भरत भूमि रह राउरि राखी ।
धन्य भायप, धन्य प्रेम, धन्य गुणदर्शन, धन्य राम, धन्य भरत!
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply