“’मूर्ख के सामने मूर्ख ही बनना पड़ता है”
एक किसान अपनी बैल गाड़ी पर बैठा हुआ वद्ध बैलां को मार-मार कर गाली देता हुआ चला जा रहा था। पास में ही एक पंडितजी कथा कह रहे थे। जब किसान ने बैल को ‘ गाली दी कि अरे बधिया तेरा खसम मर जाये। तू चलता क्यों नहीं। इस पर पंडितजी ने किसान से पूछा कि इसका खसम कौन है? उसने उत्तर दिया कि इसका खसम मैं स्वयं हूँ।पंडितजी ने फिर पूछा–यह गाली किसे लगी? किसान ने उत्तर दिया जो समझे उसे लगी। पंडितजी मूर्ख किसान ‘ की बात सुनकर चुप हो गये।