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माया मोह

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माया मोह  

एक समय की बात है कि एक आदमी जंगल में जा रहा था। रास्ते में उसे एक हाथी दिखाई पड़ा । वह हाथी के डर से दौड़ता हुआ एक कुए में गिर गया, परन्तु बीच में ही उसके हाथ में एक बेल आ गई जिसे उसने पकड़ लिया। जब उस आदमी की दृष्टि नीचे को पड़ी तो उसे एक अजगर सांप दिखाई दिया। परन्तु देखा तो हाथी खड़ा हुआ था। बेल कच्ची थी। वह बड़ी मुसीबत में फंस गया और विचार करने लगा कि अब क्या करना चाहिए। वह विचारने लगा कि ऊपर जाता हूँ तो हाथी का भय और नीचे उतरता हूँ तो अजगर सर्प का भय।  
इसी प्रकार इस संसार में आपत्तियाँ हाथी की तरह आदमी का पीछा करती हैं। उनके भय के कारण आदमी कुंआ रूपी अवनति में गिरता है। उसको जो सहारा मिलता है, वह सहारा इस बेल की तरह कच्चा होता है और उसको यह डर लगा रहता है कि इस सहारे रूपी बेल के छूटने पर । सर्प रूपी भय उसे डस न ले। अतः संसार में इन सभी से न डर कर ईश्वर के ऊपर भरोसा रखना चाहिए। 
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