“माता की ममता”!
न्एक समय की बात है कि एक किसान अपनी पत्नी व )। बच्चे के साथ बैलगाड़ी में बैठ कर ससुराल जा रहा था। ल् रास्ते में उन्हें एक औरत पेदल जाती हुईं मिली । वह चलते
) चलते थक गई थी। उसे थका हुआ जानकर किसान की पत्नी ने अपने पति से उसे गाड़ी में बैठाने का आग्रह किया। ) इस पर किसान ने उस औरत को अपनी बैलगाड़ी में बैठा ) लिया। उस औरत के पास कुछ पेड़े थे। उसने एक पेड़ा किसान के बेटे को खिला दिया।
) बालक मिठाई खाने के कारण उस औरत की गोद में ) ही रहने लगा। जब उस औरत का गांव आया तो वह उस | बालक को साथ लेकर चलने लगी। तब उस बच्चे की माँ ) बोली कि तुम मेरे बेटे को कहां ले जा रही हो? वह औरत ) बोली यह बच्चा तो मेरा है, इस पर किसान की पत्नी बोली | तेरा कहाँ से आया, यह तो मेरा बेटा है।
|, इस वाद-विवाद में गांव के लोग इकट्टा हो गये। वह ) औरत किसान की पत्नी से बोली, यदि यह तुम्हारा बेटा है | तो तुम्हारे पास क्यों नहीं जा रहा है? इस विवाद के चलते ) गांव वालों ने दोनों औरतों को राजा के सम्मुख उपास्थत ) किया गया। राजा को सारा समाचार सुनाया गया। राजा ने | सोच विचार कर कहा कि आपस में फैसला करके जिसका ) बच्चा हो वह ले ले नहीं तो इस बालक को चीर कर इसके ‘ दो टुकड़े करके एक-एक को दे दिया जायेगा।
। राजा की बात सुनकर वह औरत बोली, जिसे किसान ) ने अपनी बैलगाड़ी में बैठा लिया था-श्रीमान जी! मैं आपके । न्याय से प्रसन्न हूं। इसलिए इस बच्चे के दो टुकड़े करके ॥ एक टुकड़ा मुझ द दिया जाये।
| परन्तु किसान को पतली ने रोते हुए कहा कि राजा साहब ऐसा करने का विचार मत कीजिए । इससे तो अच्छा यह है कि लड़का इसे ही दे दीजिए क्योंकि यह जिन्दा तो रहेगा और कभी मुझे भी इसे देखने का अवसर मिल जाया करेगा। .. किसान की पतली की बात सुनकर राजा ने अपने _ सिपाहियों से कहा कि जिस दुष्टा ने लड़के को दो टुकड़े . करवाकर एक टुकड़ा लेने की इच्छा प्रकट की थी, उसे इसी समय कारागार में डालकर कठिन से कठिन दण्ड देने की व्यवस्था की जाये तथा इस किसान की पत्नी को इसका पुत्र देकर सम्मान सहित इसके घर पर भिजवाने का प्रबन्ध करो। जो असली माता होगी वह अपने सामने अपनी संतान को मरते हुए कभी देखना पसंद नहीं करेगी। वास्तव में यह लड़का किसान की पतली का ही है।