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बेईमानी की सजा”!

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“बेईमानी की सजा”! 

एक समय की बात है वि एक जागीरदार अपने सोने( 
चाँदी के आभूषण गाँव के एक लालाजी के पास रखकर ‘ 
गंगा स्‍तान को चले गये। वापिस आने पर उन्होंने लालाजी 
से अपने आभूषण माँगे। लालाजी के मन में खेईमानी आ गयी थी। वे बोले–उन्हें तो चूहे रखा गये । इस पर जागीरदार 
साहब ने कहा–लालाजी! आप चिन्ता मत करो, कोई बात ;, 
नहीं। थोड़ी देर के बाद लालाजी का बेटा आया। जागी द्वार ‘ 
महोदय उसे अपने साथ ले गये। लालाजी के बेटे को एक गुफा में बन्द करके जागीरदार महोदय लालाजी के पास , ‘ लौट आए। लालाजी ने जागीरदार महोदय से पूछा–हमारा ‘ ‘ बेटा कहां है? जागीरदार महोदय ने कहा क्या बतायें उसे तो | चील उड़ा कर ले गई। लालाजी ने क्रोध में भरकर राजा के , । दरबार में जागीरदार महोदय की शिकायत कर दी । न्यायाधीश ‘ ‘ नेजागीरदार महोदय से पूछा–भला चील लड़के को उड़ाकर | कैसे ले जा सकती है? जागीरदार साहब ने उत्तर दिया-) जिस प्रकार आभूषणों को चूहे खा सकते हैं, उसी प्रकार ‘ चील बच्चे को उड़ाकर ले जा सकती है। न्यायाधीश ने _ सारा किस्सा पूछा और दोनों की चीजें वापिस करवा दीं। 
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