एक बार राज्य सभा में अकबर ने बीरबल से हँसी करने के लिए उसके जूते छिपवा दिये वह बीरबल से बोले-तुम अमुक स्थान पर चले जाओ।
बीरबल जैसे ही जाने लगे तो अपने जूते ढूढ़ने लगे। काफी देर हो गई परन्तु जूते न मिले।
अकबर बादशाह ने बीरबल से कहा–शाीघ्रता पूर्वक जाओ नहीं तो बहुत हानि हो जायेगी।
बीरबल बहुत परेशान हुए।
बादशाह अकबर ने कुछ देर बाद फिर पूछा–क्या बात है बीरबल?
बीरबल ने कहा–सरकार! मेरे जूते नहीं मिल रहे हैं। बादशाह ने अपने नौकर से कहा–मेरी ओर से इन्हें दो जूते दिये जायें।
बीरबल के पहनने के लिए शीघ्र ही दो जूते आ गये।
परन्तु इस बात पर समस्त राज्य सभा के लोग खिलखिला कर हंस पड़े।
बीरबल बहुत चतुर थे। जैसे ही नौकर ने उन्हें पहनने के लिए जूते दिये तो बीरबल ने कहा-सरकार! इसके उपलक्ष ईश्वर आपको परलोक में ऐसे हजारों जूते सहो सलामत
बादहशा इस उत्तर से बहुत लब्जित हुए और उसकी
खूब प्रशंसा भी की।