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“बड़े भाई का प्रेम”!

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“बड़े भाई का प्रेम”! 

एक कारीगर को अपने व्यवसाय में लम्बा घाटा आ गया था। उसके दो छोटे-छोटे बच्चे और एक स्त्री थी। घाटा आने के कारण उसने अपनी स्त्री को अनाथालय में भेज. दिया और बच्चों को अपने पास रखकर दिन व्यतीत करने लगा। : फ 
कुछ समय बाद उसका भी स्वर्गवास हो गया। ऐसी स्थिति में दोनों बच्चों ने अपनी माँ के पास जाने की सोची। , 
एक दिन वे दोनों घर से चल दिये। रास्ते में उन्हें एक बैलगाड़ी मिली। गाड़ीवान ने एक को गाड़ी में बैठने को कहा। । क्‍ 
बड़े भाई ने छोटे भाई को गाड़ी में बैठा दिया और स्वयं पैदल गाड़ी के पीछे चलता रहा । पैसा पास न होने के कारण वह भूखा-प्यासा गाड़ी के पीछे चला जा रहा था। मेरा भाई भूखा है यह कहकर रास्ते में चलते राहगीरों से भीख माँग | कर छोटे भाई को खिला देता था। 
जाड़े का मौसम होने के कारण ठंड भी उन्हें सता रही . थी। छोटे भाई ने कहा–अब तुम गाड़ी में बैठ जाओ और मैं पैदल चलूँगा। | ‘ ( 
बड़ा भाई बोला–पिता श्री ने तुम्हारी देख-भाल करने ‘ को मुझ से कहा था। यदि मैं अपना कर्त्तव्य पूरा नहीं करूँगा ‘ तो माताजी के सामने और आखिर में ईश्वर के आगे मैं क्‍या , उत्तर दूँगा? बड़े भाई की बात सुनकर गाड़ी वान ने उसे भी गाड़ी में बैठा लिया। इस प्रकार वे दोनों अपनी माता के पास सकुशल । पहुँच गये। माँ अपने दोनों बेटों को देखकर बड़ी प्रसन्न हुई | और उन्हें अपनी छाती से लिपटा लिया। 
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