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“नेल्सन मंडेला: एक जीवन यात्रा” (Nelson Mandela: Ek Jeevan Yatra)

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नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के म्वेज़ो गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम रोलिहलाहला मंडेला था, जो एक थेम्बू शाही परिवार में जन्मे थे। उनके पिता गेडला हेनरी मंडेला थे, जो थेम्बू जनजाति के मुखिया थे। मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय मिशनरी स्कूल में हुई, जहाँ एक शिक्षक ने उनका अंग्रेजी नाम ‘नेल्सन’ रखा। उन्होंने हेइल्टाउन में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की और फिर फोर्ट हेयर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। हालांकि, विश्वविद्यालय में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें निष्कासित कर दिया गया था।

1943 में, मंडेला जोहान्सबर्ग चले गए और वहाँ अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) में शामिल हो गए। उन्होंने रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष शुरू किया और 1944 में ANC यूथ लीग की स्थापना की। 1952 में, उन्होंने ‘डिफायंस कैंपेन’ का नेतृत्व किया, जो गैर-अधीनता आंदोलन था, और उसी वर्ष वे ANC के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने। 1956 में, उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, लेकिन चार साल बाद बरी कर दिया गया।

Nelson Mandela

1960 के शार्पविल नरसंहार के बाद, ANC पर प्रतिबंध लगा दिया गया और मंडेला भूमिगत हो गए। उन्होंने सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया और ‘उमखोंतो वे सिज़वे’ (राष्ट्र के भाले) नामक एक गुप्त संगठन की स्थापना की। 1962 में, उन्हें गिरफ्तार किया गया और पाँच साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद, 1964 में, रिवोनिया मुकदमे के दौरान उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

नेल्सन मंडेला ने अपनी सजा का अधिकांश समय रोबेन द्वीप पर बिताया। इस दौरान, उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की। मंडेला की रिहाई की मांग करने वाले वैश्विक अभियान ने रंगभेद शासन पर दबाव बढ़ाया। 11 फरवरी 1990 को, 27 साल की लंबी कैद के बाद, उन्हें अंततः रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई के बाद, उन्होंने ANC का नेतृत्व किया और रंगभेद नीति के अंत के लिए वार्ता शुरू की।

1994 में, दक्षिण अफ्रीका में पहली बार बहु-जातीय चुनाव हुए और नेल्सन मंडेला देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। उनके नेतृत्व में, एक नया संविधान बनाया गया और नस्लीय मेलमिलाप को बढ़ावा दिया गया। मंडेला ने अपने कार्यकाल के बाद 1999 में राजनीति से संन्यास ले लिया, लेकिन सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, और HIV/AIDS के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रहे।

5 दिसंबर 2013 को, नेल्सन मंडेला का निधन हो गया। उनके जीवन और संघर्ष ने दुनिया भर में लोगों को प्रेरित किया और उन्हें स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया गया। उनकी आत्मकथा, “लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम,” उनकी यात्रा और संघर्ष की कहानी बयां करती है। नेल्सन मंडेला का जीवन सच्चाई, साहस और न्याय के लिए एक आदर्श उदाहरण है। उनका योगदान न केवल दक्षिण अफ्रीका में, बल्कि विश्व भर में अमिट छाप छोड़ चुका है।

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