धूलैंडी या छारेड़ी ( धूलिका पर्व) |
चैत्र मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा का होली के बाद धूलि का त्योहार मनाया आता है। इस दिन होली की अवशिष्ट राख की वंदना को जाती है। वैदिक मन्त्र से अभिषिक्त उस राख को भी लोग मस्तक पर लगाते हुए एक दूसरे से प्रेमपूर्वक मिलते हैं। दिन की दूसरी बेला में रंग, गुलाल, अबीर, कुमकुम, केसर की सवारी बौछार लगाई जाती है।