“जैसी करनी वैसी भनी”
जैसी करनी पार उतरनी किस मिस तुम सब फूलो।
राई-राई का लेखा होगा, बात कभी मत भूलो॥
एक परिवार में एक स्त्री को कुछ वर्षों तक पुत्र नहीं हुआ। वह पुत्र प्राप्ति के लिए टोना-टोटका करने वालों के पास चक्कर काटने लगी। एक बार एक पाखंडी ने इस स्त्री से कहा कि यदि तुम मंगलवार की रात्रि को अमुक व्यक्ति के घर में आग लगा दो तो मेरे गुरु के कथनानुसार तुझे पुत्र
की प्रासि हो सकती है। उसने त्विना सोचने समझे उसस धूर्त के कहने में आकर उसके घर में आग त्नलगा दी। उस आग मेँ बहुत सा साल असब्वाब तथा गाय, भेेंस, घोड़े, खछऊड़े कुल मिलाकर आउठ जीव जलकर भस्म हो गये । क् कुछ दिनों के बाद उसके पुत्र उत्पन्न होने शुरू हो गये। वह आठ पुत्रों की माता बन गई । उसका बूढ़ा श्वसुर अपनी पुत्र चवधु के उस आग लगाने वाले कृत्य को जानता था । एक , दिन वह सोचने लगा कि लगता है भगवान के घर में भी अंश्ेर है। | जैसे-जैसे उसके बेटे बड़े होते गये वह उनका विवाह , रचाती रही। परन्तु जिस लड़के का विवाह होता, वह मर । जाता था ॥ इस तरह उसके आठ्ों बेटे काल के ग्रासस बन गये | वह फूट-फ्ूट कर रोती रही। | ( बूढ़े श्वस॒ुर ने कहा–भगवान के घर में देर है अंधेर ( नहीं | उसके यहाँ सच्चा न्याय होता है। अपने शवसुर की : लात सुनकर बहू को ऐसा प्रतीत हुआ मानों मेरे घायों पर ( नमक छिड़क दिया गया हो । उसने क्रोध में भरकर कहा–( मेरे बाघ जेसे आठों बेटों के मर ज्ञाने से मानों तुम्हें बहुत । रुशी हो रही है। पड़ोसी भी आकर उसके श्वसुर को ब॒रा, ला कहने लगे। । बूल़ा शवसुर बोला—मेरा पंरिवार मुझे बहुत प्रिय है। , परन्तु इस अभागिन ने किसी धूर्त पंडित के कहने पर एक । शहस्थ के घर में आग लगा दी थी जिसमें आठ निर्दोष पशु ‘ जत्न कर भस्म हो गये थे । वे ही आठों पशु इस मूर्ख के आठ पुत्र लनकर जन्में और अब जे ही इसे रंताप की अग्नि में जलती छोड़कर स्वर्ग लोक सिधार गये। बूढ़े शवसुर की यह बात पड़ोसियों को ठीक तल्गी और उस मूर्ख ने भी समझ लिया व्कि यह मेरे ही कुकर्मों का फल है। उसके बाद वह अपने शझुवसुर को एक ज्ञानी व्यक्ति की प्रासि हो सकती है। उसने त्विना सोचने समझे उसस धूर्त के कहने में आकर उसके घर में आग त्नलगा दी। उस आग मेँ बहुत सा साल असब्वाब तथा गाय, भेेंस, घोड़े, खछऊड़े कुल मिलाकर आउठ जीव जलकर भस्म हो गये । क् कुछ दिनों के बाद उसके पुत्र उत्पन्न होने शुरू हो गये। वह आठ पुत्रों की माता बन गई । उसका बूढ़ा श्वसुर अपनी पुत्र चवधु के उस आग लगाने वाले कृत्य को जानता था । एक , दिन वह सोचने लगा कि लगता है भगवान के घर में भी अंश्ेर है। | जैसे-जैसे उसके बेटे बड़े होते गये वह उनका विवाह , रचाती रही। परन्तु जिस लड़के का विवाह होता, वह मर । जाता था ॥ इस तरह उसके आठ्ों बेटे काल के ग्रासस बन गये | वह फूट-फ्ूट कर रोती रही। | ( बूढ़े श्वस॒ुर ने कहा–भगवान के घर में देर है अंधेर ( नहीं | उसके यहाँ सच्चा न्याय होता है। अपने शवसुर की : लात सुनकर बहू को ऐसा प्रतीत हुआ मानों मेरे घायों पर ( नमक छिड़क दिया गया हो । उसने क्रोध में भरकर कहा–( मेरे बाघ जेसे आठों बेटों के मर ज्ञाने से मानों तुम्हें बहुत । रुशी हो रही है। पड़ोसी भी आकर उसके श्वसुर को ब॒रा, ला कहने लगे। । बूल़ा शवसुर बोला—मेरा पंरिवार मुझे बहुत प्रिय है। , परन्तु इस अभागिन ने किसी धूर्त पंडित के कहने पर एक । शहस्थ के घर में आग लगा दी थी जिसमें आठ निर्दोष पशु ‘ जत्न कर भस्म हो गये थे । वे ही आठों पशु इस मूर्ख के आठ पुत्र लनकर जन्में और अब जे ही इसे रंताप की अग्नि में जलती छोड़कर स्वर्ग लोक सिधार गये। बूढ़े शवसुर की यह बात पड़ोसियों को ठीक तल्गी और उस मूर्ख ने भी समझ लिया व्कि यह मेरे ही कुकर्मों का फल है। उसके बाद वह अपने शझुवसुर को एक ज्ञानी व्यक्ति
समझकर उसकी सेवाश्रुषा में लग गई । कुछ समय व्यतीत होने पर उसको एक और पुत्र रल उत्पन्न हुआ। वह बड़ी खुशी हुई