जीभ पर पैर रखता जा सकता है
प्राचीन काल की बात है कि एक दिन एक महात्मा ‘ बहुत थक जाने के कारण लेट गये और एक शिष्य को | | आदेश दिया कि मैं बहुत थक गया हूँ इसलिए तुम धीरे धीरे । अपने पैर से मेरा शरीर दबा दो। |… शिष्य ने उत्तर दिया–यह काम असम्भव है। आप मेरे | पूज्य हैं। आपके शरीर को मैं पैर लगाऊगा तो मुझे पाप चढ़ेगा। , ) मैं आपकी अन्य सेवा कर सकता हू परन्तु आपके शरीर को । ल् पैर नहीं लग सकता। गुरु ने फिर समझाया–बेटा! मैं बहुत थका हुआ हू। थोड़ी देर के लिए शरीर को दबा दो।
. परन्तु शिष्य तैयार नहीं हुआ तो गुरु कहने लगा–ओेरे ‘ मूर्ख! शरीर पर पैर लगाने से तुझे पाप लगेगा परन्तु मेरी जीभ पर पैर रखने से तुझे पाप नहीं लगेगा।
यह बात सुनकर शिष्य का माथा नीचा हो गया। इस
न् दृष्टान्त से यह तात्पर्य है कि ई श्वर के वेद, ईसा की बायबिल,
| मुहम्मद साहब की कुरान की आज्ञाओं को लोग आजकल
‘ ऑयतरह पैरों तले कचल रहे हैं।.