प्राचीन काल में मनुष्यं जंगलों में रहते थे तथा घोड़े आदि पशु भी जंगलों में निवास करते थे।
एक बार एक सांभर ने एक घोड़े को अपने सींगो से घायल कर दिया। इस पर घोड़ा मनुष्य से सहायता मांगने गया। ।
मनुष्य ने कहा–ठीक है हम तेरी सहायता करेंगे जिससे तुम्हारे शत्रु समाप्त हो जायेंग।
मनुष्य तीर कमान लेकर घोड़े की पीठ पर बैठ कर चल दिया और साँभर को मारकर लौट आया।
घोड़े ने मनुष्य का आभार प्रकट किया और बोला-मेरे योग्य कभी कुछ काम हो बताइयेगा। अब मैं चलता हूँ। ।
मनुष्य ने कहा–अब तुम कहाँ जाओगे? यह तो आज ही पता चला कि तुम सवारी करने योग्य हो।
घोड़ा विवश हो गया और मनुष्य का बन्धन स्वीकार कर सवारी देने का काम करने लगा।
इस संसार में स्त्री-पुरुष भी विवाह के बन्धन में बँधकर उस इस बड़े के समान ही एक दूसरे से बन्धन मुक्त नहीं हो संकते।