गैलीलियो गैलिली, एक महान इतालवी खगोलशास्त्री, भौतिकविद और गणितज्ञ, का जन्म 15 फरवरी 1564 को पीसा, इटली में हुआ था। उन्हें आधुनिक विज्ञान के पितामह के रूप में जाना जाता है। उनके वैज्ञानिक अनुसंधान और खोजों ने खगोलशास्त्र और भौतिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए।
गैलीलियो का जन्म एक संगीतकार और संगीत सिद्धांतकार विन्सेंज़ो गैलिली के परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पीसा में प्राप्त की और बाद में 1581 में पीसा विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। प्रारंभ में वे चिकित्सा का अध्ययन कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने गणित और प्राकृतिक विज्ञान में अपनी रुचि विकसित की।
गैलीलियो का पहला महत्वपूर्ण वैज्ञानिक योगदान पेंडुलम के आंदोलन का अध्ययन था। उन्होंने देखा कि पेंडुलम की समय अवधि उसकी लंबाई पर निर्भर करती है, न कि उसके स्विंग की दिशा या दूरी पर। यह खोज समय मापन में महत्वपूर्ण सिद्ध हुई।
गैलीलियो ने गति और गुरुत्वाकर्षण पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने पीसा की झुकी हुई मीनार से विभिन्न वस्तुओं को गिराकर यह सिद्ध किया कि गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव वस्तुओं के भार पर निर्भर नहीं करता है। उन्होंने गति के नियमों को प्रतिपादित किया, जो न्यूटन के गति के सिद्धांतों के आधार बने।
1609 में, गैलीलियो ने एक दूरबीन का निर्माण किया, जो पहले से निर्मित दूरबीनों से कहीं अधिक शक्तिशाली थी। उन्होंने इस दूरबीन का उपयोग खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने के लिए किया और कई महत्वपूर्ण खोजें कीं:
– चंद्रमा की सतह पर पहाड़ और गड्ढे देखे।
– बृहस्पति ग्रह के चार प्रमुख उपग्रहों (गैलीलियो उपग्रह) की खोज की।
– शुक्र ग्रह के विभिन्न चरण देखे, जो कोपर्निकस के सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत का समर्थन करते थे।
– सूर्य पर धब्बों की खोज की, जिससे सिद्ध हुआ कि सूर्य एक परिवर्तनीय पिंड है।
गैलीलियो ने कोपर्निकस के सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत का समर्थन किया, जिसमें बताया गया कि पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। उनके इस समर्थन ने उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च के साथ विवाद में डाल दिया, जिसने उस समय पटल सिद्धांत (जिसमें पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र थी) को स्वीकार किया था।
गैलीलियो के खगोलीय निष्कर्षों ने रोमन कैथोलिक चर्च की मान्यताओं को चुनौती दी। 1616 में, चर्च ने गैलीलियो को कोपर्निकस के सिद्धांतों का समर्थन न करने का आदेश दिया। 1632 में, उन्होंने अपनी पुस्तक “डायलगो कंसर्निंग द टू चीफ वर्ल्ड सिस्टम्स” प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने पटल सिद्धांत और सूर्यकेंद्रीय सिद्धांत के बीच तुलना की।
इस पुस्तक के कारण, उन्हें 1633 में पुनः अभियोग का सामना करना पड़ा और चर्च ने उन्हें अपने सिद्धांतों को त्यागने के लिए मजबूर किया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई, जिसे बाद में घर में नजरबंदी में बदल दिया गया। गैलीलियो ने अपने शेष जीवन के दौरान अपनी वैज्ञानिक खोजों को जारी रखा, हालांकि वे सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं कर सके।
गैलीलियो का व्यक्तिगत जीवन संघर्षपूर्ण था। उन्होंने विवाह नहीं किया, लेकिन उनके तीन बच्चे थे: दो बेटियाँ और एक बेटा। उनके बेटे, विन्सेंज़ो, को उन्होंने अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी बनाया। गैलीलियो की बेटियाँ, वर्जिनिया और लिविया, दोनों ने धार्मिक जीवन अपनाया और कॉन्वेंट में शामिल हो गईं।
8 जनवरी 1642 को, गैलीलियो गैलिली का निधन आर्केत्री, इटली में हुआ। उनकी मृत्यु के समय वे अंधे हो चुके थे, लेकिन उनकी वैज्ञानिक दृष्टि और योगदान ने उन्हें अमर बना दिया।
गैलीलियो गैलिली का जीवन और कार्य विज्ञान और खगोलशास्त्र के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। उनकी दूरदर्शिता, नवाचार और साहस ने उन्हें इतिहास के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक बना दिया। उनके योगदान ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में बल्कि समग्र मानवता के ज्ञान में भी अमूल्य वृद्धि की है।
गैलीलियो का साहसिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक अन्वेषण भविष्य के वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे, और उनका नाम सदैव सम्मान और श्रद्धा के साथ लिया जाएगा।