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कबीर भजन १६३

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कबीर भजन १६३
तेरा बिगरी बात बन जाई,
हरिनाम जपा कर भाई। टेक
स्याही गई सफेद आई,
फेर क्या बनेगा भाई ।
राम नाम के बड़े आलसी,
तुम्हारी मति बौराई ।
दुनिया दौलत माल खजाना,
बधिया बैल ओ गाई ।

हम जानी माया संग चलेगी,
सबकी थहा रह जाई ।
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीजा,
काम न आई ।
हम जानी काया संग चलेली,
हस अकेला जाई ।

सूआ पढ़ावल गनका तारी,

तर गई मीराबाई ।

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
तिर गए सदन कसाई ।
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