कबीर भजन १३८
साधो भाई हरि को मैंने देखा। टेक
अपने माल और आप खजाना,
आपहि खर्चन वाला।
आप गली में भिक्षा मांगे,
हाथ में ले के प्याला।
आपहि मदिरा आपहिं भट्टी,
अपने चुवावन वाला।
आपे सुरा आपहि प्याला,
आपे फिरे मतवाला।
आपे नैना आपै सेना आपे के जरा काला,
आपे गीद में आप खिलावे,
आपे मोहन माला।
साधो भाई हरि को मैंने देखा। टेक
अपने माल और आप खजाना,
आपहि खर्चन वाला।
आप गली में भिक्षा मांगे,
हाथ में ले के प्याला।
आपहि मदिरा आपहिं भट्टी,
अपने चुवावन वाला।
आपे सुरा आपहि प्याला,
आपे फिरे मतवाला।
आपे नैना आपै सेना आपे के जरा काला,
आपे गीद में आप खिलावे,
आपे मोहन माला।
ठाकुर द्वारे में ब्राह्मण बैठा,
मक्का में दरवेशा।
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
हरी जैसा का तैसा।
हरी जैसा का तैसा।