कबीर भजन श्याम कल्याण १०४
निज नाम न जापा हिये से। टेक
क्या रे भयो कंठी के बांधे में,
क्या रे तिलक दिए
क्या रे हुए सिर जटा बढ़ाए,
क्या गुदरी के लिये
क्या रे भयो कंठी के बांधे में,
क्या रे तिलक दिए
क्या रे हुए सिर जटा बढ़ाए,
क्या गुदरी के लिये
क्या ये हुआ काशी के वासे,
क्या जल गंगा पिए से
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
कहे कबीर सुनो भाई साधो
लानत ऐसे जिये से
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
कहे कबीर सुनो भाई साधो
लानत ऐसे जिये से