कबीर भजन राग भैरवी १२६
बाबा झूठी माया दुर्गत में दिन खोये। टेक
श्याम सुन्दर सुमिरो नहिं,
पल भर अन्त बाम रोये ।
पहिर पिताम्बर पुष्प बिछा,
हीरा मोती पायो ।
हरि भक्ति बिन मुक्ति न होई,
कहा दुआ तन धाये ।
हाथी घोड़ा माल खजाना,
नयन भर-भर धाये ।
पर तू मूरख भया बिराना,
लम्बी चादर सोयो ।
लम्बी चादर सोयो ।
यह संसार जो जहर की बूटी,
झूठी सांची मायो ।
कहै कबीर सन्त शरण में,
मन को धोखा खायो ।
झूठी सांची मायो ।
कहै कबीर सन्त शरण में,
मन को धोखा खायो ।