कबीर भजन राग ध्वनि पीलूं-१२३
जगत किसको ये कुल बनाया हुआ है।
वही सब घरों में समाया हुआ है।
न हो दूसरा कोई है उससे न्यारा,
गो अपने में आपी भुलाया हुआ है।
हर एक सर तो रंगी निरंगी,
ये जलवा उसी का दिखाया हुआ है।।
उसकी अकल में आती है बातें,
शरण सतगुरु की जो आया हुआ है।
है नाकत उसी में यूं खोजने की,
जो कुछ भेष सन्तों से पाया हुआ है।
धरमदास अपना उसी की फिकर में,
करोड़ों की दौलत लुटाया हुआ है।
जगत किसको ये कुल बनाया हुआ है।
वही सब घरों में समाया हुआ है।
न हो दूसरा कोई है उससे न्यारा,
गो अपने में आपी भुलाया हुआ है।
हर एक सर तो रंगी निरंगी,
ये जलवा उसी का दिखाया हुआ है।।
उसकी अकल में आती है बातें,
शरण सतगुरु की जो आया हुआ है।
है नाकत उसी में यूं खोजने की,
जो कुछ भेष सन्तों से पाया हुआ है।
धरमदास अपना उसी की फिकर में,
करोड़ों की दौलत लुटाया हुआ है।