कबीर भजन चेतावनी १२१
कब भजिहो सतनासे। टेक
सो मेरे मन कव भजिहो सतनाम।
जवानी में व्यापै काम ।
कब भजिहो सतनासे। टेक
सो मेरे मन कव भजिहो सतनाम।
जवानी में व्यापै काम ।
वृद्ध भये तन कापन लाग्यो,
बालापन सब खेल गंवायो,
लटकन लागो चाम।
लाठी टेक चलत मारग में,
लटकन लागो चाम।
लाठी टेक चलत मारग में,
सहि जात न लगाये 1
कानन बहरि नयन नहिं,
कानन बहरि नयन नहिं,
सूधे दात भये बे काम
धर की नारि विमुख होई बैठी,
पुत्र करत बदनाम।
खड़खड़ात है दिरथा बूढ़ा,
अटपट आठो धाम।
खटिया से कर देइहे,
छुटि जैहें धन धाम।
कहैं कबीर सूनो भाई साधो,
पढ़ि हैं यम से काम।