कबीर भजन गजल चेतावनी- १०२
प्रभु के चरण में ध्यान लगाया करो कभी।
परलोक अपना कुछ तो बनाया करो कभी।
प्रभु के चरण में ध्यान लगाया करो कभी।
परलोक अपना कुछ तो बनाया करो कभी।
आठों पहर पर पंच में जाते है तुम्हारे
एक पल को गुण गुरु का भी गाया करो कभी,
आखिर को ये संसार छूट जायेगा तुमसे,
तुम भी इसको दिल से हटाया करो कभी,
ले ले किया है तुमने मा धन को जोड़ के
देने को भी कुछ हाथ बढ़ाया करो कभी
जब तक हिरदय से बन सके तब तब करो दया
दुखियों की तरफ देख के लाया करो कभी
तृष्णा तो कर रही है प्रबलता से अपना राज
सन्तोष को भी ठौर दिखाया करो कभी
माया के न बस में पड़के जो रहते दीवाना
इस मन को अपना ज्ञान सुनाया करो कभी
स्वारथ के लिए तो सदा फिरते हो भटकते
सन्तों के सतसंग में आया करो कभी
है हित का तुम्हारी ही ये कहना कबीर का
इसको न अपने दिल से मुलाया करो कभी
एक पल को गुण गुरु का भी गाया करो कभी,
आखिर को ये संसार छूट जायेगा तुमसे,
तुम भी इसको दिल से हटाया करो कभी,
ले ले किया है तुमने मा धन को जोड़ के
देने को भी कुछ हाथ बढ़ाया करो कभी
जब तक हिरदय से बन सके तब तब करो दया
दुखियों की तरफ देख के लाया करो कभी
तृष्णा तो कर रही है प्रबलता से अपना राज
सन्तोष को भी ठौर दिखाया करो कभी
माया के न बस में पड़के जो रहते दीवाना
इस मन को अपना ज्ञान सुनाया करो कभी
स्वारथ के लिए तो सदा फिरते हो भटकते
सन्तों के सतसंग में आया करो कभी
है हित का तुम्हारी ही ये कहना कबीर का
इसको न अपने दिल से मुलाया करो कभी