अडोल्फ़ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के ब्रौनाउ एम इन नामक शहर में हुआ था। उनके पिता, अलीओस हिटलर, एक कस्टम अधिकारी थे और उनकी माता, क्लारा हिटलर, एक गृहिणी थीं। हिटलर का बचपन कठिनाइयों से भरा था, उनके पिता की कठोरता और माँ की ममता के बीच झूलते हुए बीता।
हिटलर के शुरुआती जीवन में, उन्होंने कला में रुचि दिखाई और वियना के एक कला विद्यालय में प्रवेश लेने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे म्यूनिख चले गए, जहाँ उन्होंने एक समय के लिए चित्रकार और मजदूर के रूप में काम किया।
1914 में, प्रथम विश्व युद्ध के आरंभ के साथ ही हिटलर जर्मन सेना में शामिल हो गए। उन्होंने युद्ध के दौरान कई बार बहादुरी दिखाई और उन्हें आयरन क्रॉस जैसे सम्मान भी मिले। युद्ध के बाद, जर्मनी में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने लगी और इस माहौल ने हिटलर को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया।
1919 में, हिटलर ने जर्मन वर्कर्स पार्टी (DAP) में शामिल हो गए, जो बाद में नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (NSDAP) या नाजी पार्टी के नाम से जानी गई। हिटलर की भाषण देने की अद्भुत क्षमता और करिश्माई व्यक्तित्व ने उन्हें पार्टी का प्रमुख नेता बना दिया।
1923 में, हिटलर और उनके समर्थकों ने म्यूनिख में एक असफल तख्तापलट का प्रयास किया, जिसे बीयर हॉल पुट्श के नाम से जाना जाता है। इस असफल प्रयास के परिणामस्वरूप हिटलर को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कारावास की सजा सुनाई गई। जेल में रहते हुए, उन्होंने अपनी आत्मकथा और राजनीतिक घोषणापत्र “मीन कैम्फ” लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी विचारधारा और भविष्य की योजनाओं का विवरण दिया।
1924 में जेल से रिहा होने के बाद, हिटलर ने नाजी पार्टी को पुनर्गठित किया और अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए। 1933 में, जर्मनी के राष्ट्रपति पॉल वॉन हिंडनबर्ग ने हिटलर को चांसलर नियुक्त किया, और इसके बाद हिटलर ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त कर तानाशाही शासन स्थापित किया।
हिटलर के नेतृत्व में, जर्मनी ने आक्रामक विदेश नीति अपनाई और 1939 में पोलैंड पर आक्रमण करके द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत की। हिटलर के विस्तारवादी दृष्टिकोण ने यूरोप के अधिकांश हिस्सों को युद्ध में धकेल दिया। युद्ध के दौरान, हिटलर और उनकी नाजी पार्टी ने यहूदी, रोमा, समलैंगिक, विकलांग और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ अत्याचार किए, जिसे होलोकॉस्ट के नाम से जाना जाता है। इस नरसंहार में लगभग छह मिलियन यहूदियों सहित लाखों लोग मारे गए।
युद्ध के अंत तक, हिटलर का साम्राज्य बर्बाद हो चुका था। अप्रैल 1945 में, सोवियत सेना बर्लिन के द्वार पर थी और हिटलर ने अपनी स्थिति को निराशाजनक मानते हुए 30 अप्रैल 1945 को आत्महत्या कर ली। उनकी मृत्यु के बाद, नाजी जर्मनी ने 8 मई 1945 को बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का यूरोपीय चरण समाप्त हो गया।
अडोल्फ़ हिटलर का जीवन और उनका शासन काल इतिहास के सबसे विवादास्पद और कुख्यात अध्यायों में से एक है। उनकी महत्वाकांक्षाएं और क्रूर नीतियां दुनिया को एक गहरे संकट में डालने का कारण बनीं, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जान गई और अकल्पनीय पीड़ा हुई। उनके शासन का अध्ययन एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि तानाशाही और अतिवादी विचारधाराएं किस प्रकार मानवता के लिए विनाशकारी हो सकती हैं।