एक साहकार प्रतिदिन अपने नौकरों से कहा करते थे
कि यदि मैं एक काम को कहूँ तो तुम तीन काम किया करो। यह पुरानी कहावत है कि “एक आवाज और तीन काम।”
साहूकार की डाट के कारण कोई भी नौकर अधिक दिन तक ठहर नहीं पाता था।
एक बार साहकार ने एक आदमी को नौकर रखा । वह नौकर बड़ा चालाक था।
एक दिन अचानक साहकार की तबियत खराब हो गई। साहूकार ने नौकर से कहा–जाओ शीघ्र डाक्टर को जल्दी बुलाओ।
नौकर डॉक्टर को बुलाने चला गया । जब वह लौटकर आया तो बोला–सरकार! सभी लोग आ गये हैं। मालिक ने पूछा–कौन लोग?
नौकर ने उत्तर दिया–सरकार! डॉक्टर साहब, कर्मकाण्डी पंडित और दर्जी । साहूकार बोला-+मैंने तो केवल डॉक्टर बुलाने के लिए कहा था।
नौकर ने उत्तर दिया–सरकार! आपने यही तो कहा
था कि एक आवाज और तीन काम । मैंने सोचा कि यदि आप डॉक्टर की दवा से ठीक न हुए तो मरने पर दर्जी और पिंड के लिए कर्मकाण्डी पंडित की आवश्यकता पड़ेगी।
साहूकार को बड़ी शर्म आयी तथा उसे अपनी बातों पर बड़ा शर्मिन्दा होना पड़ा।