ईश्वर कहा रहता है ?
एक बार एक बादशाह ने काजी से पूछा–ईश्वर कहां रहता है? उसका मुख किस दिशा में होता है और वह क्या करता है?
काजी ने बताया–इस प्रश्न का उत्तर मैं कल दूँगा। इतना कहकर काजी अपने घर चला गया। घर पर काजी इस प्रश्न के उत्तर के लिए बेचेन था।
इसी समय उसका एक पुराना नौकर आ गया जो बहुत सयाना था। उसने काजी से उदास होने का कारण पूछा तो काजी ने बात बता दी।
नौकर ने कहा–आप चिन्ता मत करो। कल को मैं स्वयं इन सवालों के उत्तर दे दूंगा।
दूसरे दिन नौकर दरबार में गया और बादशाह से बोला > ऐसे मामूली प्रश्नों के उत्तर तो हम काजी के नौकर भी दे । सकते हैं। इसलिए मैं आपके प्रश्नों के उत्तर दे दूँगा परन्तु पहले मुझे योग्य स्थान मिलना चाहिए। श्रोता का स्थान वक्ता से नीचा होना चाहिए। यह एक |। साधारण नियम है। क् ि बादशाह ने भी वही किया। काजी के नौकर को उन्होंने | गद्दी पर बिठाया और स्वयं नीचे बैठ गये। |
. अब बादशाह ने–ईश्वर कहाँ हैं? इस प्रश्न का उत्तर माँगा। । | नौकर ने कटोरा भरा दूध मँगाया और पूछा–इसमें
मक्खन कहाँ है?
राजा ने कहा–समस्त दूध में है। ४ नौकर ने कहा–इसी तरह ईश्वर भी सब जगह है। (
जैसे दही को मथकर मक्खन प्राप्त किया जाता है, उसी प्रकार भक्त अपने हृदय में मंथन करके ईश्वर को प्रकट (५ करते हैं। ््ि | : अब बादशाह ने पूछा–ईश्वर अपना मुख किस दिशा मेंरखखताह? ‘ ह (1 नौकर ने एक दीपक मंगाकर सामने रखा और बादशाह | से पूछा–इस दीपक का मुख किधर है? ‘ बादशाह ने कहा–सब दिशाओं में। ( नौकर ने बताया–ठीक उसी प्रकार ईश्वर का प्रकाश ( भी सर्वत्र फैला हुआ है। क् 6 अब बादशाह ने पूछा–ईश्वर क्या करता है? तब नौकर ने बादशाह से कहा–आप वजीर की जगह ‘ बैठ जायें और वजीर आपकी जगह बैठ जाये। राजा ने वैसा ही किया। तब नौकर बोला-जैसे मैंने आपकी बदली कर दी है,
वैसे ही ईश्वर भी मनुष्यों को क्रमानुसार राजा को रंक और रंक को राजा बनाता रहता है। बादशाह नौकर के उत्तरों को सुनकर अति प्रसन्न हुआ और उसका यथोचित सत्कार करके विदा किया।