आंखो का मोह बुरा होता है
प्राचीन समय में साधु लोग बनों में रहते थे और कन्ट, मृल व फल खाकर अपना जीवन व्यतीत करते थर। कर्मी अन्न खाने की रुचि उत्पन्न होती तो बस्ती में चले जाते श्र! वर्तमान काल में तो राजाओं ने जंगलों को बेचकर पेड़ कटवा दिये हैं, जो शेष रह गये हैं, उन पर बहत अधिक _ टैक्स लगा हुआ है। इसी कारण से साधुओं की स्थिति में । परिवर्तन आ गया है। | उसी प्राचीन समय की बात है कि एक विरक्त साधु ‘ को अन्न खाने की इच्छा उत्पन्न हुई तो वह नगर में आया। एक स्त्री ने बडे प्रेम से उन््हं भिक्षा दी। परन्तु वह उन पर | मोहित हो गयी, इसलिए साधु महाराज से कहा -आप मेरे : घर पर रोज भिक्षा लेने आएं, जिससे आपक दर्शन मे हम ‘ अपने को कृतार्थ कर सकें। साधु बिना कुछ उत्तर दिये चुपचाप वहाँ से चला गया। दूसरे दिन वह फिर आया | स्त्री अपने द्वार पर पहले से ही भिक्षा लिए खड़ी थी। आज इस नारी का शुद्ध प्रेम अपने उद्देश्य की ओर बढ़ रहा था। उसने साधु महाराज की झोली में भिक्षा डालते हुए कहा–मैं तो तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही थी, क्योंकि तुम्हारे चोर नत्रों ने मेरा हृदय चुरा लिया है। साधु चुपचाप बिना बोले चला गया। तीसरे दिन साधु ने अपनी आँख के दोनों कोये निकालकर अपने हाथ में ले लिए और उसी जगह भिक्षा लेने जा पहुँचा। जब वह स्त्री भिक्षा देने आयी तो साधु ने कहा–” ‘ जिन चोर आँखों ने तुम्हारा हृदय चुरा लिया था, उन्हें लेती जाओ और अपने पास सुरक्षित रख लो | इससे तुम्हें सुख प्राप्त होगा।” यह सुनकर उस स्त्री को बहुत अधिक पछतावा हुआ। उसको यह बात समझ में आ गई कि आँखों का मोह बहुत बुरा होता है। तब से वह ईश्वर की भक्ति में लीन हो गई।