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अच्छी वस्तु भगवान को अपिंत करो |

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अच्छी वस्तु भगवान को अपिंत करो |

 एक साधु एक गाँव में उपदेश देने के लिए आये। एक ( सुनार की दुकान पर पहुँच कर उन्होंने कहा–एक अच्छी सी ( अंगूठी लाकर भगवान के हाथों में पहना दो । ( एक मोची से अच्छे से अच्छा जूता भगवान को पहनाने ( के लिए कहा। ‘ दर्जी के यहाँ जाकर अच्छी से अच्छी पोशाक ईश्वर को ( पहनाने का आग्रह किया। ( लोगों ने समझा कि यह साधु कोई ढोंगी आदमी है जो ; एक-एक करके सबको ठगने आया है। बहुत से लोग एकत्र ( होकर पुलिस कीं बुलाकर साधु को जेल भिजवाने के लिए | सलाह, मश्विरा करने लगे। ( जब साधु को पता चला तो वह बोला-मैं जेल जाने को ( तैयार हूँ परन्तु आप लोग पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर देने का कष्ट | करें। | साधु ने उन लोगों से पूछा–यह संसार किसने बनाया ( है? ( लोग बोले-भगवान ने। । * साधु ने फिर पूछा-+आकाश में सूर्य, चन्द्रमा, तारों को ( किसने उत्पन्न किया है? । सब लोगों ने कहा–ईशए्वर ने। ध साधु ने पुछा–ये सब बातें तुम सोच समझ कर बता रहे हो न?सब लोगों ने जोर से उत्तर दिया–हाँ। यह सब खेल किसका है? साधु ने पूछा । ( लोगों ने उत्तर दिया–ईश्वर का। येहाथ पैर किसके हैं? उत्तर–ईश्वर के । ््ि तब मुझे यह बताओ जब मैं ईश्वर को अच्छे कपड़े, गहने और जोड़ा पहनाने को कहता हूँ तो तुम मुझे जेल क्‍यों भेज रहे हो? यह सुनकर सभी बहुत शर्मिन्दा हुए और उन्होंने उसे सच्चा सन्यासी जानकर उससे अच्छी शिक्षा ग्रहण की और उसकी पूजा करने लगे। 

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