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“कन्हैया कुमार: एक जीवन यात्रा” (Kanhaiya Kumar: Ek Jeevan Yatra)

कन्हैया कुमार का जन्म 13 जनवरी 1987 को बिहार के बेगूसराय जिले के बीहट गांव में हुआ था। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के एक प्रमुख नेता हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। कन्हैया कुमार ने भारतीय राजनीति में अपनी स्पष्टवादिता और युवा दृष्टिकोण के लिए एक विशेष स्थान बनाया है।

कन्हैया कुमार का पालन-पोषण एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता, जयशंकर सिंह, एक किसान थे और मां मीना देवी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। कन्हैया की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी विद्यालय में हुई। उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों में ही समाज और राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया था।

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कन्हैया ने स्नातक की पढ़ाई पटना कॉलेज से की और फिर उच्च शिक्षा के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) चले गए। जेएनयू में उन्होंने अफ्रीकी अध्ययन केंद्र से पीएचडी की पढ़ाई की।

कन्हैया कुमार का राजनीतिक करियर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से शुरू हुआ, जहां वे 2015 में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों के अधिकारों के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाई और शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

फरवरी 2016 में, कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जब जेएनयू परिसर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर देशविरोधी नारे लगाए गए थे। इस घटना ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें एक विवादास्पद व्यक्तित्व बना दिया। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया।

2019 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के टिकट पर बिहार के बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार गिरिराज सिंह से हार गए, लेकिन उन्होंने चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और लाखों युवाओं को प्रेरित किया।

कन्हैया कुमार सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और समानता के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने अपनी भाषणशैली और विचारधारा के माध्यम से युवाओं को प्रेरित किया है। कन्हैया ने अपने वक्तव्यों में बार-बार बताया है कि कैसे सामाजिक असमानता और आर्थिक विषमता को दूर किया जा सकता है।

कन्हैया कुमार ने अपने राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण को साहित्य के माध्यम से भी व्यक्त किया है। उनकी पुस्तक “बिहार से तिहाड़” ने काफी लोकप्रियता प्राप्त की। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों का वर्णन किया है।

कन्हैया कुमार को एक तरफ जहां युवाओं और समाज के वंचित वर्गों का समर्थन मिला है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें कठोर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। उनके खिलाफ लगे देशद्रोह के आरोपों ने उन्हें एक विवादास्पद व्यक्तित्व बना दिया है, लेकिन उन्होंने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से अपनी प्रामाणिकता बनाए रखी है।

कन्हैया कुमार भारतीय राजनीति के एक उभरते हुए नेता हैं, जिन्होंने अपनी स्पष्टवादिता और साहसिकता के बल पर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। वे एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने न केवल छात्रों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है, बल्कि समाज के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय रखी है। कन्हैया कुमार की जीवनी हमें यह सिखाती है कि साहस और सच्चाई के साथ अपने सिद्धांतों पर डटे रहना कितना महत्वपूर्ण है।

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