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कबीर भजन गजल-६८

कबीर भजन गजल-६८ पड़े अविद्या में सोने वालोंखुलेंगी आंखें तुम्हारी कब तक।शरण में जाने को सतगुरु की,करोगे अपनी तैयारी कब

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भजन गजल-६६देखिए कैसा अविद्या ने अजब धोखा दियाझूठ को सब दुःख को,सुख विपरीत बोध करा दिया।जिसका निर्गुन निराकार,निरीह करता है

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 71 अपने सर को जमा दियाजगत के नश्वर में फसाइसकीजो कि फूले फिरतेये धर्म के अगुवा करवा दियाउनकी निज कर्त्तव्य

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कबीर भजन राग पीलू ११३

कबीर भजन राग पीलू ११३भजन बिन कोऊ न जग उबरो।श्वास-२ पर श्वास आने फेरी स्वांस बहरी।आवत जात केहू ना देखी

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 103 भागवतगीता ।  ज्ञान देव कीधन यौवन तेरासुनतः सुनत दिन बीता।पूजा कीता,हरि सो न रहा प्रीना।यों खो जाएगा,सब बीता।जग कीता।चीता।अन्त

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131 भजन १५१

 भजन १५१ मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रेमाता कहे यह पुत्र नर,हमारा बहिन कहे मेरा।पेट पकरि के माता

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