मेरे समान पापों का घर कौन ? तुम्हारा नाम याद करते ही पाप नष्ट हो जायँगे श्रीराम-सीता-लक्ष्मण वन पधार गये। श्रीदशरथ जी की मृत्यु हो गयी। भरत जी ननिहाल से अयोध्या आये। सब समाचार सुनकर अत्यन्त मर्माहत हो गये। महामुनि वसिष्ठ जी, माता कौसल्या, पुरवजन, प्रजाजन – सभी ने जब भरत को राजगद्दी स्वीकार करने के लिये कहा, तब भरत …
मेरे समान पापों का घर कौन ? तुम्हारा नाम याद करते ही पाप नष्ट हो जायँगे
