कबीर भजन कव्बाल
सतगुरु फकत जगत में दुख को छुड़ाने वाले
भव सिन्धु मैं कटुम्ब के सब है डुबाने वाले।
माता पिता तुम्हारे त्रिया और सुत विचारे,
स्वारथ को अपने सारा नाता लगाने वाले।
अब तो सगे सगे घनेरो, कहता है जिनको मेरे।
आखिर तो कोई तेरे नही काम आने वाले।
यम से पड़े जब पाले मरके जकड़ के ताले,
कोई न उस ठिकाने होंगे बचाने वाले।
पाके मनुष्य तन को करले पवित्र मन को।
भूलो न देश धन को दौलत कमाने वाली।
सुन लो ये बात नीकी प्यारे कबीर जी की
भक्ति से उस धर्म का अब मुह छिपाने वाले।