Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
कदे नाम हरि का लिया ना, कदे भजन हरि का किया ना
कदे गई ना गुरू के डेरे में, मेरी उम्र बीतगी अंधेरे में।।
बचपन तो खेल गंवाया कुछ भी तो समझ न आया
रह गई सखियों के फेरे में।।
जब मुझ पे जवानी आई, मेरी हो गई ब्याह सगाई।
घिर गई परिवार के घेरे में।।
जब आया बुढापा वैरी, कोय बात सुनै ना मेरी।
मेरी खाट गेर दी झेरे में।।