Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
राम बुलावा एक दिन आवै, उस बुलावे से डरियो।
आगे मर्जी आपकी भैया,सुमरन करियो ना करियो।।
लाख चौरासी भोग के योनि,मानव चोला मिलता है।
हरि कृपा से जीवन का ये,फूल सुहाना खिलता है।
देह धरे का मोल है भाई, भँवसागर से तरियो।।
मात पिता और भाई बन्धु, जीते जी के साथी हैं।
अंत समय सब आंख दिखाए, तेरे नहीं हिमाती हैं।
इन के आंसू सोच ले, खुद ही मरियो।।
अब भी समय सम्भल जाओ, वरना फिर पछताओगे।
यही साथ में जाएगा,जो सुनो दान कर जाओगे।
ये संसार तो है मतलब का, अपनी करनी खुद भरियो।