Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
मेरी सूरत राम से लागी।
सब संसार सपन का सौदा, दिल की दुर्मति भागी।।
जन्म मरण का नहीं अंदेशा, सूरत सोवती जांगी।
स्वर्ग नरक बैकुंठ और दोजख,एकै बर सब त्यागी।।
स्वर्ग नरक बैकुंठ और दोजख,एकै बर सब त्यागी।।
तन से तर्क फर्क फारिग हो, अवगत में अनुरागी।
मगन होए मन चढा गगन में,बम्ब अनाहद बाजी।।
मगन होए मन चढा गगन में,बम्ब अनाहद बाजी।।
सूजन सुजान प्राण से प्यारे, नित प्रति खेलत फागी।
नित्यानन्द महबूब गुमानी,किये हुजूर बेदगी।।
नित्यानन्द महबूब गुमानी,किये हुजूर बेदगी।।