Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
कठिन सांवरे की प्रीत, हे री लागै सोई जाणै।।
के जानै कोय दिल का मरहमी,
के जानै जगदीश।।
लड़ गया सर्प जहर विष काला,
उठें लहर शरीर।
उठें लहर शरीर।
हैं तजीदुलड़ी तिलड़ी ,तजीपँचलडी,
पहनी प्रेम जंजीर।।
पहनी प्रेम जंजीर।।
मीरा के पृभु गिरधर नागर,
डिगी बन्धाइयो म्हारी धीर।।
डिगी बन्धाइयो म्हारी धीर।।