Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
जायगा हंस अकेला,तुं रामनाम रट भाई रे।
झूठा ये जगत झमेला तुं रामनाम।।
सोच समझ इंसान बावले, काया का करे न गुमान बावले
तन माटी का ढेला।।
पल में वो तेरा घमण्ड तोड़ दे ,माया की तुं बावले मरोड़ छोड़ दे।
तेरे साथ न जावे धेला।।
रामनाम सुखदाई रे, तेरै क्यूंना समझ मे आई रे।
दो दिन का जग में मेला।
मुक्ति का कोई जतन करले,ईश संग तुं राम सुमरले।
तुं बनजा भक्त अलबेला।।