Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
गुरु बिन धक्के खाओगे।
जन्म-२ का लेखा मांगे, क्या बतलाओगे।।
छलबल करके लूटी दुनिया, क्या ले जाओगे।
सजा मिलेगी किये कर्म की, पड़े चिल्लाओगे।।
जो तुम करो झूठ व्यवहारा,नहीं सत्य चित लाओगे।
दिखेंगें यमदूत खड़े, सब साँच बताओगे।।
आज भजूं मैं कल भजूं मैं,टेम गंवाओगे ।
चेता जा तै चेत बावले, फिर पछताओगे।।
पर धन तकते कभी न थकते, क्या ले जाओगे।
यहां की वस्तु यहीं रहे, तुम खाली जाओगे।।
कभी न सन्त शरण मे जाते,ज्ञान कहाँ से पाओगे।
बिन सतगुरु के नाम दान लख, चौरासी भरमाओगे।।
बिन सतगुरु के नाम दान लख, चौरासी भरमाओगे।।
सतगुरु ताराचंद के शरणे होकर,ज्ञान अधर का पाओगे।
कंवर भँवर से तभी बचे, जो राधास्वामी गाओगे।।