Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
भुला लोग कहें घर मेरा,
जा घर में तूँ भुला डोलै, सो घर नाहीं तेरा।।
हाथी घोड़ा बैल भायला, संग किया घनेरा।
बस्ती में से दियो खदेड़ा, जंगल किया बसेरा।।
बस्ती में से दियो खदेड़ा, जंगल किया बसेरा।।
गाँठी बांध खर्च नहीं पट्यो, फेर न करियो फेरा।
बीबी बाहर हरम महल में, ये दुनिया का डेरा।।
बीबी बाहर हरम महल में, ये दुनिया का डेरा।।
नो मन सूत उलझ नहीं सुलझे, जन्म-२ उलझेड़ा।
कह कबीर सुनो भई साधो, इस पद का करो निवेरा।।
कह कबीर सुनो भई साधो, इस पद का करो निवेरा।।