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चरखले आली री, तेरा चरखा बोलै राम – Kabir Ke Shabd-charakhle aali ri, teraa charkhaa bolai ram-2

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Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

चरखले आली री, तेरा चरखा बोलै राम-२।

तूँ भज ले न तुंही।।
चरखा तेरा रंग रंगीला, पीढ़ा लाल गुलाल।
कातन आली श्याम सुंदरी, मुड़ तुड़ घालै तार।।
ऊंचे टीले हल चलै रे, बैल गऊ के पेट।
हाली झूलै पालना, छकियारी पहुंची खेत।।
सास कुंवारी बहु पेट में, ननद पंजीरी खाए।
देखन आली कै छोहरा होज्या, बांझ खिलावन जाए।।
बेटी बोली बाप से तूँ, अनजाया वर ला।
अनजाया वर ना मिले तो, मेरा तेरा ब्याह।।
कह कबीर सुनो भई साधो, इसका करो निबेड़ा।
जो इस शब्द का अर्थ बतावै, वो पूरे गुरु का चेला।।
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