Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
भई तूँ श्याना कोन्या रे, गेर लिया तने टोटा।
औरां ने तूँ पागल समझे,खुद बुद्धि का खोटा।
अपना हित तूँ राखा चाहवे, आपा समझो खोटा।।
इस सौदे में आवे दिवाला, राजी हो के ओटा।
कुछ तो आगे जमा करा दे, ना हो लिया कर्जा मोटा।।
ऐसा क्या अज्ञानी होग्या,बिलकुल मुर्ख झोटा।
दबे पाप तेरे सारे उघडे, बाजे यम का सोंटा।।
माने तो एक बात बता दू, ला सुमरिन का घोटा।
सुबह शाम की टेम बना ले,गेर भजन का कोठा।।
झूठ कपट अहंकार का तने,सिर पे धरा भरोटा।
हरिदास सन्त सेवा में मिल का ज्ञान अनूठा।।